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गंगा ने कलयुगी नेताओं को बहुत देखा हैै मोदी जी आप क्या करेंगे देखते है?

संघर्ष करता भारत
संघर्ष करता भारत
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नदियों के पुनर्जीवन के ऐसे उदारहण दिए जा सकते है । राजस्थान की सात नदियों को तरूण भारत संघ के कार्यकर्ताओं ने वहां के समाज के साथ मिलकर पानीदार बनाया है।
चीन ने अपनी यलो रीवर , आस्ट्रेलिया ने हत्ताह लेक और जापान ने अपनी मिरनिख नदी को पुनर्जीवित करके मिसाल कायम की । देश-दुनिया में नदियों का इतिहास बताता है कि अगर ठान लिया जाए तो मृत नदी को भी जीवित किया जा सकता है । बस जरूरत दृढ़ इच्छाशक्ति की है। अलकेमिस्ट के रचनाकार पाउलोें कोहली ने ठीक ही कहा है कि अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में जुट जाती है । इंसानी गतिविधियों के दुष्परिणाम से मृत होने वाली पहली नदी टेम्स को लंदनवासी शायद इसी संकल्प से पुनर्जीवित कर सके ।असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीें किया गया । किसी महापुरूष के कहे गए ये शब्द गंगा निर्मलीकरण को लेकर चलाए गए अब तक के सरकारी ,सामाजिक और सांस्कृतिक प्रयासों को समझाने के लिए काफी हैं। सरकार ने बढ़ते दबाव के बीच समय-समय पर गंगा को साफ करने की पहल की । गंगा एक्शन प्लान -एक ,गंगा एक्शन प्लान दो ,राष्ट्रीय ,राष्ट्रीय नदी का दर्जा ,और प्राधिकरण के गठन जैसे तमाम कदम गिनाए जा सकते है । यह बात और है कि उठाए गए ये सारे कदम अपनी छाप नहीं छोड़ सके। जहां तमाम योजनाओं में भ्रष्टाचार का राक्षस उनके मकसद को ही लीलता गया ,वहीें केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय की कमी प्रचुर मात्रा में दिखी। गंगा ने आमरण अन’ना व प्रद’ार्न जमकर देखे हैैैं। इन सबका ज्यादा असर ना भी रहा हो पर गंगा की चर्चा लगातार रही । गंंगा में बन रहे बांध ,खनन व अतिक्रमण लगातार सुर्खियों में रहे है । इन सबके पीछे बड़ा कारण गंगा से जुड़ी कमाई रही है । जिसे रोकने में हर सरकार असफल रही है । अकेले गंगा में खनन से करोड़ाें का धंधा पनपता है । बांधो से बिजली सरकारों को खरी कमाई देती है । इन सब धंधो के पीछे राजनीतिक कनेक्’न ही सबसे बड़ी ऊर्जा रही है । मोदी जी आपसे सवाल क्या आप राजनीति षडयंत्र को ध्वस्त कर पाओगे?

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